कलुआ
- घर से निकला दबकर छिपकर ,कलुआ महुआ पीने को
- चाल मे तेजी ,खत्म हुई तो कहा मिलेगा जीने को
- नजरों से पढ़कर साकी ने , भरकर प्याला दे डाला
- नाक शिकोड़े किया गला तर ,प्रेम कहा रुकने वाला

- मएखाने मे यार भी बेटे ,हमप्याला बन जाते हे
- झुटा प्याला ,बासा पानी ,अम्रात शुख दे जाते हे
- बस महुए ने असर दिखाया ,कलुआ कलुआ ना रह पाया
- इस पल रंक तो उस पल राजा ,देर रात तक अभिनय छाया
- बहुत बार कोसिस किया उटने की , पर उटा कहा जाता हे
- बस चार कदम चला ही था ओर धूल चाट ही जाता हे
- घर का रास्ता अब ना सस्ता ,नालों का सुख पाता हे